...काम कम दिखावा ज्यादा

आगे....
दो दिन का काम पूरे हफ्ते में करने वालों की कला का तो कुछ कहना ही नहीं। ऐसे लोग अन्य कर्मचारियों से जल्दी आफिस पहुंच जाते हैं। जब कोई अन्य आफिस में पहुंचता है तो अगला कई कम्प्यूटर खोले अकेले बैठा है। सभी कम्प्यूटर के सामने कुछ न कुछ फाइल या कापी या अन्य चीजे फैली हुई मिलेगी। कभी इस टेबल पर तो कभी उस टेबल पर भटकते हुए काम करता है। ऐसे बिजी व्यक्ति को आप भी जानते होंगे।
कुछ कर्मचारी तो ऐसे कन्फ्यूज होते हैं कि एक ही काम कई बार अलग-अलग तरीके से करते हैं और अन्त में अपने ही पहले वाले काम को डन कर देते हैं। लेकिन वो काफी व्यस्त होते हैं और पूरे आफिस में उनकी चर्चा होती है।
कई बड़े वाले तो कोई काम करना ही नहीं चाहते, करते भी हैं तो वही जो मजबूरी हो। मजबूरी वाले काम में भी वो अन्तिम समय तक दिमाग लगाते हैं कि किसी और सिर मढ़ दिया जाए। और घर जाते समय उनके दिमाग में यही होता चलो भाई एक दिन और बीता। कल की कल....

काम कम दिखावा ज्यादा

जिन्दगी के बहुत ज्यादा दिन तो मैंने नौकरी नहीं की। पर नौकरी की लाईफ का अपना ही मजा है। नौकरी काकल्चर तो धीरे-धीरे अब मेरे समझ में गया है। बहुत बढ़िया काम कर लेने से कोई अच्छा नौकर नहीं बन सकता। अच्छा नौकर बनने के लिए काम कम और दिखावा ज्यादा होना चाहिए। तभी तो लोगों को लगेगा कि कोई काम कर रहा है। उसके पहले वाला तो एक दम बेकार था। एक देहाती कहावत है मूतना कम हिलाना ज्यादा। यह पता नहीं कब का बना है बट है बहुत सटीक। जिसको काम से ज्यादा दिखाना आता है वही अच्छी नौकरी कर सकता है। वही नौकरी में आगे बढ़ता है और वही सबका चहेता होता है। जो मन से काम करता है उसके ऊपर और काम दे दिया जाता है क्योंकि काम के लिहाज से वही बढ़िया गधा है। जो बिना टेंसन बोझ उठाए चला जाएगा। जोबड़े वाले हैं उनका तो पूछना ही क्या वो तो बिना काम के भी इतना बिजी होते हैं कि लोग उसके तनाव को देखकर ही उसको काम नही देते की बेचारा कितना बिजी है। अगर किसी ने कह दिया तो खरा सा जवाब भी मिल जाएगा कि अरेआप देख नहीं रहे कितना काम मैं कर चुका हूँ और कितना मेरे पास पड़ा है। जो काम गधा टाइप का कोई कर्मचारी दो घंटे में कर देगा। वो काम वही दो दिन में करेंगे। और वो भी पूरी तल्लीनता से बिना समय गवाएं। कौन उसको क्या सपोर्ट नहीं कर रहा है वो बॉस को पहले पता चल जाएगा भले ही सपोर्ट बाद में मांगा जाए।

नौकरी के मजे.......

प्यारे भाईयों , बहनों एवं मित्रों
इस ब्लाग पर पहले तो मैं कुछ बकवास और हकीकत का मिश्रण लेकर आने की तैयारी में हूँ । उसका कारण यह है कि मैंनेइसे बनाते वक्त सोचा ही नहीं कि इसे बना क्यों रहा हूँ । बस ये सोचा जो मन में आएगा वहीं लिखूंगा। आगे देखते हैं क्या लिखा जाए। फिलहाल तो नौकरी और उसके मजे के बारे में पूरी सिरीज चलाने की सोच रहा हूँ। तो लीजिए पहली खुराक.....

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